Pandit Deepchandji Shah
पंडित दीपचंद जी शाह
पंडित दीपचंद जी शाह अत्यंत प्रतिभावान और विद्वान कभी हुए हैं। वह जयपुर के सांगानेर के रहने वाले थे और बाद में आमेर में आकर रहने लगे थे। इनका जन्म विक्रम संवत 18 वीं शताब्दी के अंतर्गत हुआ था परंतु उन्होंने अपने ग्रंथों में अपना जीवन परिचय, माता पिता या गुरु परंपरा के संबंध में कुछ नहीं लिखा है। वह अत्यंत साधारण वेशभूषा और सामान्य जीवन जीते थे। कवि दीपचंद जी का गोत्र कासलीवाल था और यह तेरापंथ संप्रदाय के अनुयायी थे।
कवि की अनेक रचनाएं प्राप्त हुई हैं जो कि निम्नलिखित हैं -
1. चिद विलास
2. अनुभव प्रकाश
3. गुणस्थान भेद
4. आत्मावलोकन
5. भाव दीपिका
6. परमार्थ पुराण
यह रचनाएं गद्य में लिखी गई हैं -
7. अध्यात्म पच्चीसी
8. द्वादशअनुप्रेक्षा
9. ज्ञान दर्पण
10. स्वरूपानंद
11. उपदेश सिद्धांत
इनकी रचनाओं के अध्ययन से ज्ञात होता है कि पंडित दीपचंदजी की रचनाएं जैन दर्शन के अध्यापन साहित्य को समृद्ध करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करती हैं। वे अध्यात्म के रसिया विद्वान थे और वे स्वरूप गुप्त होने का निरंतर प्रयास करते थे।